Wednesday, 30 January 2013

मैं  तुम्हे चाहता हूँ ,
तुम आज जैसी भी हो,
स्वीकार करता हूँ तुम्हे
तुम्हारी तमाम अच्छाईयों के साथ
तुहारी हर कमजोरियों के साथ,
तुम्हे चाहता हूँ मैं आत्मा से
आत्मा तक, तुम्हारी
क्योंकि प्रेम का निवास आत्मा में ही है,
आत्मा की खुराक भी प्रेम ही है।
प्रेम से प्रेम तक
प्रेम को प्रेम से बस ...गिरिराज 10.22 बजे रात  

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