Monday, 7 January 2013

खुद को खरोंच कर देखें

   खुद को खरोंच कर देखें

खुद को खोदें ,और कोंच कर देखें,
भीतर झांके और सोच कर देखें ।

अब समय आ गया की जान ही लें,
चलो अब खुद को खरोंच कर देखें।

उथली  सम्वेदना  को गहरा लें,
खुद को हम भी तो नोंच कर देखें।

कैसे लड़ते  हैं  बाघ, घायल हो  ,
आज चलिये   दबोच कर देखें ।

खुद की प्रवृत्ति, जान कर के चलो,
खुद अपना नाम सोच कर देखें ।
              गिरिराज भंडारी
             1A/35/सेक्टर  4/भिलाई
             जिला दुर्ग-छत्तीसगढ़

 

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