Tuesday 8 January 2013

परिंदों से

परिंदों से 
आकाश भ्रमण करना चाहो तो ,स्वयं तुम्हें ही उड़ना होगा।

किसके बदले कौन मरा कब ?
सब अपनी ही मौत हैं मरते।
कब स्वर्ग दिखा दूजी आँखों से?
स्वयं तुम्हें  ही मरना होगा ।
आकाश भ्रमण करना चाहो तो,स्वयं तुम्हें ही उड़ना होगा।
हवा-हवा में झूठ है शामिल।
मक्कारी ,धोखेबाजी है ,
रक्षक -भक्षक मिल बैठे हैं,
अब हंस तुम्हें ही बनना होगा।
आकाश भ्रमण करना चाहो तो,स्वयं तुम्हें ही उड़ना होगा।
गरमी सर्दी या हो वर्षा रुत ,
हो नवतपा,शीतलहर  हो ।
या बादल फट पानी बरसे ,
पर, तोल तुम्हें ही उड़ना होगा ।
आकाश भ्रमण करना चाहो तो,स्वयं तुम्हें ही उड़ना होगा।
हर सुख की कीमत होती है ,
हर दुःख खातिर कोई दवा है।
वातावरण यदि विरुद्ध है,
परिवर्तन भी करना होगा।
आकाश भ्रमण करना चाहो तो,स्वयं तुम्हें ही उड़ना होगा।
शक्तिवान बनने की रौ में ,
अपनी कमियां मत झुठलाना।
फूंक-फांक कर देख-भाल कर ,
उथला-उथला भरना होगा ।
आकाश भ्रमण करना चाहो तो,स्वयं तुम्हें ही उड़ना होगा।

गिरिराज भंडारी
1A/35/सेक्टर 4/भिलाई
जिला दुर्ग-छत्तीसगढ़



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