लो फिर से ख़बर आई,
या यूँ कि ,लहर आई ।
दौड़े बहुत,पहुंचे नहीं,
अब होगी जग हंसाई ।
जब पैर टिके कब्र में,
तब सच की समझ आई।
मौक़ा मिला,पहुँच गए,
हर चौक, तमाशाई ।
जोशीली बड़ी बात है,
पर आँख है घबराई ।
ख़ुद की जगह के लिए,
हर दिल है तमन्नाई।
जहर है तो,पिए ही क्यूँ ?
हमको समझ न आई,
कुछ आखरी लम्हे बचे ,
ये वक़्त है हरजाई ।
या यूँ कि ,लहर आई ।
दौड़े बहुत,पहुंचे नहीं,
अब होगी जग हंसाई ।
जब पैर टिके कब्र में,
तब सच की समझ आई।
मौक़ा मिला,पहुँच गए,
हर चौक, तमाशाई ।
जोशीली बड़ी बात है,
पर आँख है घबराई ।
ख़ुद की जगह के लिए,
हर दिल है तमन्नाई।
जहर है तो,पिए ही क्यूँ ?
हमको समझ न आई,
कुछ आखरी लम्हे बचे ,
ये वक़्त है हरजाई ।
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