Saturday, 26 January 2013

खोजिये तो ऎसी फ़ितरत कौन सबको दे गया?

खोजिये तो  ऎसी फ़ितरत कौन सबको दे गया?
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शब्द सारे जो  खरीदा, वो   मौन  उनको  दे  गया,
सोचिये तो  इतनी क़ीमत कौन  उनको  दे गया ?

इस जगह से उस जगह तक, हर जगह पाई गई,
जांचिये तो इतनी  दौलत  कौन  उनको  दे गया ?

इस शहर में , ये उदासी ,थी तो कभी पहले  नहीं,
जानिये तो,फ़िर ये ग़ुरबत कौन किसको दे गया ?

हर कोई डरा डरा ,सहमा  हुआ  सा है   हर नगर,
देखिये तो  ऐसी  दहशत  कौन  इनको  दे  गया ?

लूट इतनी, झूट इतने,औ  भ्रष्टाचारी  इस क़दर,
खोजिये तो  ऎसी फ़ितरत कौन सबको दे गया ?

जिस क़दर ये देश फिसला है,सभी चिंतित लगे,
रोकिये अब ,ऐसी हालत  कौन हमको  दे  गया ?
                                           गिरिराज भंडारी 

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