चलो कानून बदल दें,कि वो बौना निकला।
बच न पाए वो पिद्दा,जो सरगना निकला,
चलो कानून बदल दें,कि वो बौना निकला ।
कहाँ हैं वो,जो संस्कृति का मान रखते थे?
सम्मान आज यहाँ एक खिलौना निकला।
सुरक्षा देश की,अन्दर से हो कि बहार से ,
बड़ा दुःख है,कि इस देश में सपना निकला।
स्वतंत्र था जो मेरा मन,मुझे शत्रु सा लगा,
जो हुआ कैद तो देखा,मेरा अपना निकला।
गिरिराज भंडारी,भिलाई
बच न पाए वो पिद्दा,जो सरगना निकला,
चलो कानून बदल दें,कि वो बौना निकला ।
कहाँ हैं वो,जो संस्कृति का मान रखते थे?
सम्मान आज यहाँ एक खिलौना निकला।
सुरक्षा देश की,अन्दर से हो कि बहार से ,
बड़ा दुःख है,कि इस देश में सपना निकला।
स्वतंत्र था जो मेरा मन,मुझे शत्रु सा लगा,
जो हुआ कैद तो देखा,मेरा अपना निकला।
गिरिराज भंडारी,भिलाई
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