Wednesday, 2 January 2013

मैं सच कहूँगा

  मैं सच कहूँगा            
आँखे बंद कर के यूँ चादर ना तन लो ,
मैं सच कहूँगा आके सब मेरा बयां लो ।

प्रकाश आज भी वही सूरज भी वही है ,
आखें खुली रखने की एक शर्त मन लो ।

अकेले किसी के घर नहीं आते हैं,ये दोनों,
 दुख लंगड़ा,अंधी ख़ुशी ये बात जान लो।

 यूँ ही मिले से चीज़ की कीमत नहीं होती,
पाने के लिए भाई जी,कुछ तो थकान लो।

भीड़  में  तो  भीड़ का  हिस्सा  ही रहोगे ,
ऊँचे में जाके तुम कहीं अपना मचान लो ।

बिन मांगे तो खुदा भी कुछ देते नहीं यारों,
तुम भी कहो,गूंगे हो तो मेरी जुबान लो  ।
             
                         गिरिराज भंडारी
                        1A /सड़क 35 /सेक्टर 4
                        भिलाई ,जिला -दुर्ग (छ.ग.)

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