ग़ैरों को समझाता नहीं
मुस्कुराना बेवज़ह मुझको अभी आता नहीं ,
अपनी तक़लीफों का विज्ञापन मुझे भाता नहीं।
आप खाएं या न खाएं ये है मर्ज़ी आप की ,
बेदिली से कुछ मिले तो मै कभी खता नहीं ।
रोक लेता है मुझे जागा हुआ मेरा जमीर ,
इसलिए मैं आपके रस्तों में चल पता नहीं ।
आप का सच आपको किस ठौर में पहुंचा गया ,
अच्छा-बुरा,अपना-पराया,कुछ समझ आता नहीं ।
मेरी उम्मीदों ने भी, है कुछ सबक़ मुझको दिया
सच में जो होता है वो,सच में नज़र आता नहीं ।
जो है यकीं तो वाह वा, है बेयक़ीनी वाह वा ,
अपनों को ज़रूरी नहीं,ग़ैरों को समझाता नहीं ।
मौन में न जाने कितने गीत उभरे,छिप गए,
अप्रासंगिक प्रणय गीतों को कभी गाता नहीं ।
गिरिराज भंडारी
1A /सड़क 35 /सेक्टर 4
भिलाई ,जिला -दुर्ग (छ.ग.)
मुस्कुराना बेवज़ह मुझको अभी आता नहीं ,
अपनी तक़लीफों का विज्ञापन मुझे भाता नहीं।
आप खाएं या न खाएं ये है मर्ज़ी आप की ,
बेदिली से कुछ मिले तो मै कभी खता नहीं ।
रोक लेता है मुझे जागा हुआ मेरा जमीर ,
इसलिए मैं आपके रस्तों में चल पता नहीं ।
आप का सच आपको किस ठौर में पहुंचा गया ,
अच्छा-बुरा,अपना-पराया,कुछ समझ आता नहीं ।
मेरी उम्मीदों ने भी, है कुछ सबक़ मुझको दिया
सच में जो होता है वो,सच में नज़र आता नहीं ।
जो है यकीं तो वाह वा, है बेयक़ीनी वाह वा ,
अपनों को ज़रूरी नहीं,ग़ैरों को समझाता नहीं ।
मौन में न जाने कितने गीत उभरे,छिप गए,
अप्रासंगिक प्रणय गीतों को कभी गाता नहीं ।
गिरिराज भंडारी
1A /सड़क 35 /सेक्टर 4
भिलाई ,जिला -दुर्ग (छ.ग.)
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