APNO SE APNI BAT by GIRIRAJ BHANDARI
Saturday, 5 January 2013
अब तो यारों बेक़रारी,बदहवासी आम है,
सबकी सुनो,अपनी कहोगे तो उबासी आम है।
आप भी सीखें कहीं से मुस्कुराहट ओढ़ना,
माथों पे बल,और आँखों में उदासी आम है।
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