Wednesday 30 January 2013

ये कबूतर करामाती है, इसे बस पाल के रखना।

 ये कबूतर करामाती है, इसे बस पाल के रखना
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ये कबूतर करामाती है, इसे बस पाल के रखना।

तड़प ख़ुद रास्ता दिखाती है, सम्हाल  के  रखना,


इन  अंधेरों  से  लड़ना  दीयों को  ख़ूब   आता है,

बस दो-चार, चौखट पर, हमेशा बाल  के रखना।


सदियों से ज़माने की मुहब्बत  से खिलाफ़त है ,

ख़्वाबों में मिलेंगे हम ,नज़र से बोल के रखना ।

साहिल में खड़े रह कर समन्दर पार क्या होगा,

जो उड़ना है आसमाँ  में,परों को तोल के रखना।

सीधे रस्ते समझ आते नहीं है क्यूँ कर तुमको ?

अबस हर घड़ी ख़ुद को किसी जंजाल में रखना।

बदल चुकी  हैं मियारें, अभी चुन चुन के देखेंगे,

जो भी चीज़ रखना तू, बहुत कमाल के रखना।

कह ले तू ,जो जी चाहे,इजाज़त है तुझे लेकिन,

दिल खोल के  रखना,बिना  सवाल के  रखना।

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