बस आपसी सम्बन्ध है
प्रवाह में है कुछ रुकावट या निकासी बंद है ,
या नदी तालाब सी है , इसलिए दुर्गन्ध है ।
अब नियम से कुछ नहीं होता है भाई जान लो ,
तुमने दिया,मैंने लिया बस आपसी सम्बन्ध है ।
शक्तिशाली ना समझ हैं,और समझ बेहोश है ,
अब पुकारे कौन किसको हर कोई अपंग है ।
चाल कछुवे की तरह धीमी है रक्षा पंक्ति की,
और भागा जो लुटेरा तीव्रतम तुरंग है ।
हाथ जोढ़े गिडगिडाते आये थे चौखट में वो ,
बंद फाटक हैं सभी के,ये सियासी रंग है ।
गिरिराज भण्डारी
1A/35/सेक्टर 4
भिलाई ,जिला- दुर्ग
No comments:
Post a Comment