Saturday, 19 January 2013

उस पर यक़ीन रख।

उड़ने दो उन्हें आसमाँ में, तू ये  ज़मीन रख,
जिस पे खड़ा हुआ है तू,उस पर यक़ीन रख। 
फ़ुर्सत किसे है  झाँक के  अंदर की ख़बर ले ,
बाहर   को  झाड़ पोंछ के तू  बेहतरीन  रख ।
लम्हा जो अभी  बीता वो,  पुराना  हो गया,
समय  के साथ सोच  भी ताज़ा तरीन रख।
दाग़-धब्बे  छोड़, तुझे   हक़ है, ये  जान  ले,
तू  भी अपना नाम  बेशक, महज़बीन रख।







  

No comments:

Post a Comment