जब भी मिलती है तो,वो नाम क्यों सुझाती है?
क्या कीजिए उन्हें, कि हया भी नहीं आती है?
राह भटकों में मेंरा नाम ना जोडें , कि मुझे,
तारीक़ियाँ ख़ुद जल के,सही रास्ता दिखाती हैं।
जादू बाक़ी है कुछ, अभी भी इन फ़िजाओं में,
ये गुनगुनाती हवाएं भी गीत वही गाती है।
तमन्ना है दिल में , देखूँ तो कैसे लगती है,
किसी की ज़िन्दगी जब खुल के मुस्कुराती है।
फ़िर उसी उम्मीद के ज़ेरे असर है दिल मेरा ,
फ़िर सबा उनका ही,सलाम लिए आती है।
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