Saturday, 23 February 2013

हम हँसे, रो पड़ें, उनको इस से क्या

हम हँसे, रो पड़ें, उनको इस से क्या
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हम जियें या मरें उनको इससे क्या
हम हँसे, रो पड़ें, उनको इस से क्या

घर हमारा, दर हमारा,हम  हमारे हैं
तोड़ दें,फोड़  दें, उनको  इससे  क्या

हाथ मेरे, पैर मेरे, ये जिस्म मेरा है
काट  लें,नोच लें, उनको इससे क्या

खाना मेरा, पेट मेरा , पानी  मेरा है
खा लें कि छोड़ दें उनको इससे क्या

जान मेरी, दिल मेरा, गाड़ी  मेरी है
बचा लें,  भेड़ दें, उनको इससे क्या

कलम मेरी, मर्जी मेरी,बात मेरी है
चुप रहें, छेड़ दें, उनको  इससे क्या 
                  गिरिराज भंडारी





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