ये ग़लत है ,जानता हूं ,मगर नही करूंगा
( मुक्तक)
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खुशियां तुम्हारे संग मै सफर नही करूंगा
ये ग़लत है ,जानता हूं ,मगर नही करूंगा
मुझमें उदासियां भी रहती है घर बनाके
उनको निकाल कर के बेघर नही करूंगा
गिरिराज भंडारी
उनकी बेवफाई क्या मैं जानता नहीं
सितमगिरी उनकी क्या पहचानता नहीं
मै अपने आप को समझा भी लूं मगर,
दिल बड़ा ज़िद्दी है, कहा मानता नहीं
गिरिराज भंडारी
उनकी बेवफाई क्या मैं जानता नहीं
सितमगिरी उनकी क्या पहचानता नहीं
मै अपने आप को समझा भी लूं मगर,
दिल बड़ा ज़िद्दी है, कहा मानता नहीं
गिरिराज भंडारी
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