काबर रिसाये रे सरकार हमर ले ( छत्तीसगढ़ी भाषा में )
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काबर रिसाये रे सरकार हमर ले
देवथस दुनिया ल,अउ लेवथस हमर ले
पीरा कर थे जांघ, हाथ पाँव टुट गे
लकवा ह मार दिस मुड़ी से कमर ले
कमाइ पुरै नइ, महंगइ बाढ़ गे
सकबे त सकले, नई तो पसर ले
सब्बो मन भ्रष्ट, चारों मुड़ा बइमान
मनखे ले जनावर, तहूँ ह गिर ले
उधारी बाढ़ी होगे हे,लुकावत फिरत हों
बजार हाट रेंगथों, मैं तीरे-तीर ले
गिरिराज भंडारी
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काबर रिसाये रे सरकार हमर ले
देवथस दुनिया ल,अउ लेवथस हमर ले
पीरा कर थे जांघ, हाथ पाँव टुट गे
लकवा ह मार दिस मुड़ी से कमर ले
कमाइ पुरै नइ, महंगइ बाढ़ गे
सकबे त सकले, नई तो पसर ले
सब्बो मन भ्रष्ट, चारों मुड़ा बइमान
मनखे ले जनावर, तहूँ ह गिर ले
उधारी बाढ़ी होगे हे,लुकावत फिरत हों
बजार हाट रेंगथों, मैं तीरे-तीर ले
गिरिराज भंडारी
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